कैबिनेट में सरकार ले पुरानी पेंशन बहाली पर फैसला वरना कार्मिक करेंगे परिवर्तन की आवाज बुलंद
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देहरादून
राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा की 07 नवम्बर 2021 को आयोजित विशाल चेतावनी रैली की गूंज से राजनीतिक माहौल गरमा गया है। जहां सियासतदानों में हड़कम्प मचा हुआ है, वहीं आम जनता से अपार समर्थन भी मिला है। अब सरकार के लिए आगामी कैबिनेट में कार्मिकों की बहुप्रतीक्षित पुरानी पेंशन बहाली की मांग को नजरंदाज करना आसान नहीं होगा क्योंकि चेतावनी रैली ने सरकार के ऊपर पुरानी पेंशन लागू करने का चौतरफा दबाव बना दिया है।
राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा(NOPRUF), उत्तराखंड के प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ० डी० सी० पसबोला ने बताया कि आगामी कैबिनेट में पुरानी पेंशन बहाली पर सरकार को निर्णय लेना ही होगा, क्योंकि यह कार्मिकों हक की लड़ाई है। कार्मिकों का हक दबाकर रखने से कोई भी सरकार लोकप्रिय नहीं हो सकती है। जहां मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने खुद “बातें कम, काम ज्यादा” की बात कही है तो फिर सरकार को अब पुरानी पेंशन के मुद्दे पर बातें कम, काम ज्यादा कर के अपनी ही कहीं हुयी बात को अमलीजामा पहनाकर कार्मिकों के प्रति अपनी सकारात्मक कार्यशैली एवं सकारात्मक सोच का परिचय देना चाहिए।
डॉ० पसबोला ने आगे बताया कि पुरानी पेंशन बहाली में सरकार द्वारा की जा रही हीलाहवाली से कार्मिकों में बैचेनी एवं आक्रोश का माहौल है। हर कैबिनेट बैठक से पहले कार्मिक पुरानी पेंशन बहाली की उम्मीद लगाए रहते हैं। यदि सरकार द्वारा इस आगामी कैबिनेट में पुरानी पेंशन बहाली पर सकारात्मक निर्णय नहीं लिया जाता है और आचार संहिता लागू होने से पहले पुरानी पेंशन का शासनादेश जारी नहीं किया जाता है तो सरकार को कार्मिकों के आक्रोश का सामना करना पड़ेगा। प्रदेश के 80,000 कार्मिक एवं उनके लाखों घर परिवार के सदस्य इस दिशा में ठोस कदम उठाने को मजबूर होंगें।
रिपोर्ट-योगेश चौहान