ऐसे पहचानें मिलावटखोरी का खेल
लाल मिर्च: अमूमन लाल मिर्च में ईंट का बारीक पिसा हुआ पाउडर मिलाया जाता है। इसमें मिलावट की जांच के लिए मिर्च में पानी में डालकर देखा जा सकता है। अगर लाल मिर्च पाउडर पानी में तैरता नजर आए तो वह शुद्ध है, लेकिन यदि वह डूब जाए तो समझ लीजिये की मिलावटी है।
हल्दी:हल्दी पाउडर में मेटानिल येलो नामक रसायन मिलाया जाता है, जो कैंसर जैसी बीमारी का कारण बन सकता है। इसे परखने के लिए हल्दी पाउडर में कुछ बूंद हाइड्रोक्लोरिक एसिड और उतनी ही बूंदे पानी की डालकर देखें। अगर हल्दी का रंग गुलाबी या बैंगनी हो जाए, तो मिलावट है।
दूध:दूध
में डिटर्जेंट, पानी व सिंथेटिक दूध भी मिलाया जाता है। आधा कप दूध में आधा कप पानी मिलाने पर यदि झाग निकले तो समझे डिटर्जेंट मिलाया गया है। दूध अंगुलियों के बीच रगड़ने पर साबुन जैसा लगे तो सिंथेटिक दूध हो सकता है।
काली मिर्च: काली मिर्च में पपीते के बीजों को काले रंग में रंगकर मिला दिया जाता है। इसे परखने के लिए बीजों को पानी में डालें। अगर यह तैरते दिखाई दें, तो यह नकली हैं और अगर डूब जाए तो असली हैं।
मटर: हरे मटर के दानों को अत्यधिक हरा दिखाने के लिए इसमें मेलाकाइट ग्रीन मिलाया जाता है। इसकी पहचान के लिए मटर के दानों को कुछ समय तक पानी में मिलाकर रखें, अगर यह हरा रंग छोड़ने लगें, तो इसमें मिलावट है।
फल: फलों में भी मिलावट होती है। खासतौर से अगर आप सेब का प्रयोग करते हैं, तो उस पर चढ़ी हुई मोम की परत को पहले जांच लें। यह सेब को चमकदार दिखाने के लिए होती है। चाकू की सहायता से खुरचने पर आप इसे देख पाएंगे।
मिठाई: शहर में बनने वाली अधिकांश मिठाइयों के ऊपर चांदी का वर्क लगा होता है। चादी के वर्क को हथेली में मसलने से यदि वह कठोर हो जाता है तो वह नकली है। टिंचर आयोडीन की पाच-छह बूंदें व चीनी के कुछ दाने डालकर गरम करने पर यदि मिठाई का रंग नीला हो जाता है तो मिलावटी है।
देसी घी: देसी घी में आलू, आरारोट व रिफाइंड तेल भी मिलाया जाता है। घी में थोड़ी मात्रा में आयोडीन साल्यूशन मिलाने पर यदि रंग नीला हो जाता है तो यह घी में स्टार्च का होना दर्शाता है। यानी कि घी में आलू मिलाया गया है।
बाजार में मिलने वाले खाद्य पदार्थों में कई बार मिलावट की शिकायत मिलती हैं। कई बार जांच में सैंपल भी फेल मिले हैं। लोगों को खुद भी जागरूक होने की जरूरत है। खाद्य पदार्थों की घर बैठे जांच कर सकते हैं, शक होने पर विभाग से शिकायत करें, इसके बाद लैब में जांच कराई जाएगी।