एम्बुलेंस चालक भुखमरी के कगार पर
रुड़की: कोविड-19 में अहम भूमिका निभाने वाले कोरोना योद्धा भुखमरी की कगार पर है, ये ऐसे कोरोना योद्धा है जिन्होंने अपनी जान जोखिम में डालकर कोरोना मरीजों को अस्पताल तक पहुँचाया, लेकिन अब इन योद्धाओं की हिम्मत जवाब देने लगी है, ये योद्धा कोविड-19 में एम्बुलेंस चालक के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे है, दरअसल कोरोना काल मे प्राइवेट एम्बुलेंस चालको को लगाया गया था, जो कोरोना मरीजों को आइसोलेशन वार्ड तक पहुँचाने का काम कर रहे थे, इसके एवज में इन्हें प्रतिदिन एक हजार रुपये देने का वादा किया गया था,लेकिन करीब 5 माह बीत जाने पर भी इन चालको को एक रुपया तक हाथ नही लगा, जिसके कारण अब इनके सामने रोजी-रोटी का संकट छा गया है, साथ ही परिवार चलाने में भी दिक्कतें आरही है, ऐसे में एम्बुलेंस चालकों का कहना है कि पैसे ना मिलने से गाड़ी का मेंटिनेंस, और फाइनेंस की किश्ते तक नही जा पाई, जिसके कारण वह भुखमरी की कगार पर पहुँच चुके है।
आपको बता दे कोरोना काल मे मरीजों को अस्पताल तक ले जाने के लिए जिला प्रशासन ने प्राइवेट एंबुलेंस वाहनों को लगाया था, जिन्हें प्रतिदिन एक हजार रुपये देने का वायदा भी किया गया था, इन एम्बुलेंस चालको का काम ये था कि जहां भी कोरोना मरीज पाया जाए वहां से उसे अस्पताल तक पहुँचाया जाए, या सील इलाकों में किसी को कोई परेशानी होती तो उस मरीज़ को अस्पताल तक पहुंचाया जाता था, इसके साथ कवारेंटिन किए जाने वाले लोगो को भी एम्बुलेंस सेवा दी जा रही थी, करीब चार माह तक सब ठीकठाक चलता रहा लेकिन जब प्रशासन की तरफ से एम्बुलेंस चालको को कोई पैमेंट नही दिया गया तो वह टूट गए, जमा रकम भी चार माह में एम्बुलेंस से मरीजों को लाने लेजाने में खर्च कर दी, जिसके बाद तमाम चालको के सामने रोजी-रोटी की समस्या उतपन्न हो गई, चालको ने कई बार पैमेंट के लिए जिला प्रशासन से गुहार लगाई लेकिन सरकारी काम की तरह ही करीब पांच माह बीत गए और पैमेंट नही हो पाया, एम्बुलेंस चालकों का कहना है कि गाड़ी फाइनेंस पर ली थी जिसकी किश्तें भी जमा नही हो पाई, साथ ही गाड़ी की सर्विस और मेंटिनेंस का खर्च भी नही उठ रहा है, इसके साथ ही परिवार भुखमरी की कगार पर पहुँच चुका है, ऐसे में एम्बुलेंस चलाना दुश्वार हो गया है,जब तक प्रशासन पिछला पैमेंट नही करता, तबतक एम्बुलेंस चलाना मुश्किल होगा,क्योंकि अब तेल के पैसे भी नही बचे है।
वही इस सम्बंध में एआरटीओ ज्योति शंकर मिश्रा का कहना है कि इस सम्बंध में जिला प्रशासन के साथ साथ सीएमओ हरिद्वार को अवगत करा दिया गया है, ताकि जल्द ही इनका भुगतान हो सके, और ये कार्य सुचारू रूप से चलता रहे।