भर्ती एजेंसियों ने तोड़ी बेरोजगारों की आस



देहरादून ( योगेश चौहान) – चुनावी साल में राज्य सरकार ने अगले छह माह में बीस हजार युवाओं को सरकारी नौकरी देने का वायदा तो किया है, लेकिन भर्ती एजेंसियों की हकीकत कुछ और है। राज्य में पांच साल से पीसीएस के फार्म नहीं निकले हैं। अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के पास पांच परीक्षाएं लंबे समय से अटकी हुई हैं। समूह ग भर्ती के लिए जिम्मेदार उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के पास इस समय पांच परीक्षाएं ऐसी हैं, जिनके लिए आवेदन भरे हुए छह महीने से अधिक का समय बीत चुका है, लेकिन परीक्षा कार्यक्रम अब तक तय नहीं हो पाया है। इन परीक्षाओं के लिए कुल 4.37 लाख बेरोजगारों ने आवेदन किया है। आयोग के पास इस समय लेखपाल-पटवारी, बंदीरक्षक, प्रयोगशाला सहायक के पदों के लिए भी आवेदन प्रक्रिया जारी है।
फॉरेस्टगार्ड भर्ती परीक्षा के लिए 21 मई 2018 को विज्ञापन जारी किया गया था, लेकिन तीन साल बाद भी अभी अंतिम चयन नहीं हो पाया है। आयोग के सचिव संतोष बडोनी के मुताबिक कोविड के कारण भर्ती परीक्षाएं बाधित हुई। अब वन दरोगा भर्ती के साथ पुन: भर्ती परीक्षाएं शुरू कर दी गई हैं। भर्ती में देरी के खिलाफ याचिका दायर करने वाले आंदोलनकारी रविंद्र जुगरान कहते हैं, पीसीएस भर्ती तैयारी में युवाओं को पांच से छह साल का समय लगता है। उत्तराखंड में पांच साल से पीसीएस के आवेदन ही नहीं निकले हैं, इससे बहुत से युवा बिना परीक्षा में बैठे ही आयुसीमा पार कर जाते हैं।
नर्सिंग स्टॉफ बढ़ाने के लिए प्रस्तावित भर्ती तीन बार स्थगित की जा चुकी है। 2621 पदों के लिए प्रस्तावित इस भर्ती परीक्षा की जिम्मेदारी यूबीटीआर को दी गई है। परिषद के सचिव डॉ. मुकेश पांडेय के मुताबिक शासन स्तर से ही परीक्षा कार्यक्रम में बदलाव किए गए हैं।