प्रतिबंधित मांगुर मछली का हो रहा पालन
काशीपुर:- सदियों से मांगुर मछली पर प्रतिबंध लगता चला रहा है लेकिन मछली पालन करने वाले लोग मांगुर मछली पालकर मोटी चांदी काटने से पीछे नहीं हट रहे हैं।
आपको बता दें कि मछली पालन करने वाले व्यक्तियों को मत्स्य विभाग ने अपने तालाबों से मछलियों को नष्ट करने के निर्देश जारी किए साथ ही उनको नोटिस भी जारी किया। लेकिन मछली पालन करने वाले दर्जनों लोगों ने नगर क्षेत्र के तालाबों में मांगुर मछली पालने का सिलसिला जारी कर रखा है। उन्हें शासन प्रशासन का कोई डर नही है।
बता दें कि मांगुरा मछली काफी खतरनाक मछली होती है मांगुर मछलियों को खाने से कैंसर हो सकता है. मांगुर मछलियों के सेवन से कैंसर, डायबिटीज के अलावा अलग अलग बीमारियां हो सकती हैं. जिसे खाने से भयंकर बीमारियों का ग्राफ बढ़ जाता है। लेकिन इन मछली पालन व्यक्तियों को लोगों की जानो का कोई सरोकार नहीं यह मछली प्योर मांसाहारी होती है। मछली पालने वाले लोग इन्हें गला सड़ा मांस खिलाते हैं जिससे यह बहुत जल्दी बड़ी हो जाती हैएनजीटी (राष्ट्रीय हरित क्रांति न्यायाधिकरण) ने 22 जनवरी को इस संबंध में निर्देश भी जारी किए है, जिसमें यह कहा गया हैं कि मत्स्य विभाग के अधिकारी टीम बनाकर निरीक्षण करें और जहां भी इस मछली का पालन को हो रहा है उसको नष्ट कराया जाए। और बाजारों में धड़ल्ले से मांगुर मछली का बाजारीकरण किया जा रहा है । निर्देश में यह भी कहा गया हैं कि मछलियों और मत्स्य बीज को नष्ट करने में खर्च होने वाली धनराशि उस व्यक्ति से ली जाए जो इस मछली को पाल रहा हो।क्योंकि यह मछली चार महीने में ढाई से तीन किलो तक तैयार हो जाती है
जब इस विषय में उपजिलाधिकारी गौरव कुमार सिंगल से वार्ता की गई तो उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि मत्स्य विभाग को निर्देशित कर दिया गया है समस्त तालाबों से मछली निकालकर नष्ट करने के निर्देश दिए हैं । साथ ही जो लोग इस पर अमल नहीं कर रहे हैं उनको नोटिस भी जारी किया गया है लेकिन मछली पालन लोग इस ओर ध्यान ना देकर मोटी चांदी कमाने में लगे हुए हैं।