रोते बिलखते हुए इस गांव के ग्रामीण अपने घरों को छोड़ने के लिए हो रहे है मजबूर।
कोटद्वार–राष्ट्रीय राजमार्ग 534 से सटे हुए आमसौड में बीते शनिवार को दोपहर में हुई आधे घंटे की बारिश ने ग्रामीणों के दिलो में दहशत पैदा करते हुए अपने आशियानों को छोड़ने पर मजबूर कर दिया है।
शनिवार दोपहर हुई आधे घंटे की मूसलाधार बारिश होने के कारण पहाड़ी से भूस्खलन हो गया था जिसमे मलबा और पानी का सैलाब आ गया था। भूस्खलन से कोई बड़ी क्षति तो नही हुई लेकिन जिस पहाड़ी से भूस्खलन हुआ उसका भारी भरकम मलबा और बोल्डर अभी फसा हुआ है अगर दुबारा बारिश होती है तो वह मलबा कई घरों को अपनी चपेट में लेकर धराशाही कर सकता है।
जिस तरह से बारिश ने आमसौड के ग्रामीणों को ट्रेलर दिखाते हुए मलबा मकानों को छूते हुए निकल गया जिससे ग्रामीणों में दहशत बनी हुई है। मलबा और पानी का सैलाब कई घरों को छूता हुआ निकला और गुड्डी देवी का सेफ्टी टैंक क्षतिग्रस्त हो गया।
इस पूरे मंजर को ग्रामीण अपने आंखो से देखते रहे। जिससे ग्रामीणों ने अपने आशियानों को छोड़ने का मन बना लिया और लगभग 10 परिवार आमसौड़ से पलायन कर गए तो वहीं कुछ लोग ऐसे है जो पलायन करने की स्थिति में नहीं है, तो वहीं सुभाष जुयाल की बेटी की शादी दो महीने बाद है जिसके लिए उन्होंने पूरी तैयारी कर रखी है लेकिन पहाड़ी से आ रहा मलबा लोगो के सपनो को पानी में बहा ले जा रहा है।
अगर दुबारा इस क्षेत्र में बारिश होती है तो जान माल़ के नुकसान होने की संभावना हो सकती है।आसमान में काले बादल आते ही ग्रामीणों के चहेरे पे मायूसी छा जा रही है और सबकुछ तबाह होने का डर उनके माथे पर देखा जा रहा है।
आमसौड में रहने वाले अधिकतर ग्रामीण झवाणा गांव में रहते थे लेकिन सड़क जैसी मूलभूत सुविधा नहीं होने के कारण कुछ ग्रामीण आमसौड़ में आकर रहने लग गए लेकिन अब उन्हें भयानक त्रासदी का डर सताने लग गया है।
रामचंद्र जुयाल, गणेश जुयाल,हरीश जुयाल ने बताया कि अगर हमारे झवाणा गांव की शासन प्रशासन अनदेखी नहीं करता और सड़क बन जाती तो हम कभी भी अपने गांव से पलायन नहीं करते। शासन प्रशासन की अनदेखी ने हमे आमसौड़ आने के लिए मजबूर किया और अब भूस्खलन होने के कारण हमे आमसौड़ से भी पलायन करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।